Friday, 3 April 2020

चुंबन (C for Chumban) - Kiss

चुंबन

C for Chumban - Kiss



(Hug & Kiss always go together. So this one is continuation from where I left my poem from A - Aingan. Read this in continuation with Alingan to enjoy more. )

दैविक ज्योति लागयो,
रच्यो प्रेम ते डोर,
गुंजत ब्रह्म तरंग,
संग सुरभित लय मंद।  

मंद चल्यो मोहे हाथ,
मखमल स्पर्श समात, 
झुकल चेहरा तब उठ्यो,
जड्यो तयों मोहे नैन ,  

नैना संग नैन बतियाओ,
मोई बंधन बने जडन्त, 
उइ अंग संग अंग समायो,
पिघलो कामुक आह संग।  

आह संग  दउरत सांस, 
मोइ गर्दन हौले झुकाए,
उइ एड़ी पर तब चढ़्यो ,
पहुँचल तब जुदा होईल पंखुड़िया तक। 

पंखुड़िया जुदा तब मिल्यो,
जड्यो चुम्बन संग मीत,
उई आनन्द संग खिल्यो, 
परिपूर्ण अउर परितृप्त। 

परितृप्त दोउ भै तब शांत,
जड़ चेतन समाय इक संग,
एक चुंबन संग चिरकालिक,
सदैव हुए संग प्रफुल्लित। 


आदित्य सिन्हा
03.04.2020

No comments:

Post a Comment