नव यौवन ( N - Nav Yovan)
नन्ही कली सी मैं ,
पंखुड़ी में सिमटी,
सीली सिली शबनम,
बैरी बसंती बयार,
मद्धिम सी किरण,
कुसुम की सुगन्ध,
मँडराता एक भौंरा,
एक प्यारा बोसा,
ओह ! क्या किया तूने,
मदमस्त मैं झूमी ,
अलसाती अँगड़ाती,
बेखबर इठलाती,
बेतकल्लुफ सी ,
नैनों में भर चमक,
नया हया अब,
होठों पे लहराए,
अब नयी शोखी,
ओह! क्या किया तूने,
अंग अंग अब झूमे,
करे क्रीड़ा कलरव,
पंखुड़ी खिल खिल जाये,
नव रस का करे पान,
आगोश व आलिंगन,
अब जागे नव चेतन,
अनुभूति है ये नूतन,
रचा तूने नव यौवन।
ओह! क्या किया तूने।
आदित्य सिन्हा
16 .04 . 2020
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