Sunday 15 February 2015

Pyar Ka Utsav ( प्यार का उत्सव )

This post is a part of Write Over the Weekend, an initiative for Indian Bloggers by BlogAdda.

प्यार का उत्सव 




सुना है वैलेंटाइन डे आने वाला है,
प्यार का इज़हार का नया कोई उत्सव है,
एक नहीं, दो नहीं, पूरे आठ दिन का है ये,
लगता होली, दिवाली, सब पर्व से कुछ बृहद है।  

जान मेरे मन में भी एक आस जग आई,

सोये हुऐ अरमानों में प्यास जग आई,
शायद नए प्यार का ये मौसम, पुराना प्यार लौटा लाये,
ये सोच निकल पड़ा मैं करने कोशिश एक और नई। 

शुरू हुआ कहानी जब दिन गुलाब से,

बिखरे बाजार में सुर्ख़ कुसुम प्यार के,
सोंचूं मैं भी ले कर एक कली लाल, 
बिन बाग़ कैसे मोहे ये मन मीत के। 

फिर आया दिन प्रस्ताव का,

खोज कर मै एक  परफेक्ट डेस्टिनेशन,
विचारूँ जीवन बीताया जिसे मन में बसा कर,
अब करूँ कैसे इज़हार उनके पहलु में बैठ कर।  

आये दिन फिर चोकलेट और टेडी के,

कैसे करूँ मैं ये भेंट नज़राना,
गुलाबी होंठ को एक करे स्याह, 
तो दूसरा खेले कमसिन बदन से। 

और मैं क्या करूँ कोई अब वादा, 

ख्यालों मैं जीवन बीता दिया जब आधा,
नहीं तमन्ना अब कोई आलिंगन का भी,
रोम रोम में बसा जब प्यार मेरा।

दिन चुम्बन का भी बीत गया इन्ही ख्यालों में,
लबों की लाली कैसे चुराऊं मैं,
नए ज़माने के इस वैलेंटाइन में,
कैसे पाऊं अपना वैलेंटाइन मैं। 



आदित्य सिन्हा,
15. 02.  2015. 
अलीगढ़ 


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