आज फिर एक छोटी सी आस जागी है,
हथेली में नई लकीरों होने की एहसास जागी है ,
एक कदम जो तुम चल कर आये,
ज़िन्दगी को नए नाम देने की प्यास जगी है !
गुजले पन्नों को अल्मारी के कोने से निकाल,
परत दर परत धुल हटाई है हमने,
धूमिल हुए लकीरों को बार बार पढ ,
आँखों में पुरानी तस्वीर सजाई है हमने !
शुष्क आँखों की उस कुम्हलाई तस्वीर को,
आज फिर झरोखे से देखी है हमने ,
नम आँखों की निर्झर निर्मल अश्रु से सींच ,
ओस सी सींची पुलकित प्रफुल्लित पुष्प बनायीं है हमने !
बंद आँखों में सजे वो सपने सुहाने,
खुले आँखों से जिसे कभी देख न पाई हमने,
तेरे नैनों की महज एक मुलाकात से रोशन,
आज सच होने की नई आयाम पाई है हमने!
लौट कर आज फिर उस राह पर हम चले,
जिस दोराहे पे खड़े कभी बिछड़े थे हम,
कभी जहाँ से स्याह रात में मायूस लौटे हरदम,
आज पूरी रात आँखों में काट नई सवेरा देखी है हमने!
नया सवेरा, नई रौशनी, नई लकीरें, नए सपने
तेरे आने से ये सब हो रहे हैं अपने,
जागी है तमन्नाओं की फिर से आस,
कि दूं ज़िन्दगी को एक नया नाम, बुझाऊँ इसकी सर्वस्व प्यास !